Summary
Court summons in India can be delivered via registered mail, personal delivery by court officials, or electronically if available. Individuals can represent themselves in court, known as party in person, but non-lawyers can only represent others with court permission. This is governed by the Code of Civil Procedure, 1908, and the Code of Criminal Procedure, 1973. Section 302 of CrPC allows court discretion for non-lawyer representation, while Section 32 of the Advocates Act, 1961, and Power of Attorney can also be used for such permissions.Full Conversation
क्या कोई व्यक्ति अदालत में खुद अपना केस लड़ सकता है या किसी अन्य परिचित व्यक्ति को (जो वकील नहीं है) अपनी ओर से जिरह या बहस या प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कर सकता है?
भारत में, किसी व्यक्ति को अदालत में स्वयं अपना केस लड़ने का अधिकार है, जिसे "पार्टी इन पर्सन" कहा जाता है। हालांकि, कोई भी व्यक्ति जो वकील नहीं है, दूसरे व्यक्ति की ओर से अदालत में प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। यह नियम केवल अधिवक्ता को ही लागू होता है।
यदि आपको किसी विशेष न्यायालय के बारे में जानकारी चाहिए, तो कृपया उस न्यायालय का नाम बताएं।
भारतीय कानून में यह अधिकार दिया गया है।
• Code of Civil Procedure, * की धारा * और
• Code of Criminal Procedure, * की धारा *
के तहत कोई व्यक्ति स्वयं अपना केस लड़ सकता है या किसी अन्य व्यक्ति को अदालत की अनुमति से प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कर सकता है।
• यह अर्ज़ी "through Power of Attorney (POA)" या "Permission under Section * of the Advocates Act, *" के तहत दी जा सकती है।
⚖️ CrPC की धारा * क्या कहती है?
CrPC की धारा * के अनुसार:
"कोर्ट किसी व्यक्ति को अनुमति दे सकती है कि वह किसी अन्य व्यक्ति की ओर से अभियोजन करे।"
इसका मतलब है कि अदालत की अनुमति से कोई गैर-वकील व्यक्ति भी किसी केस में पैरवी कर सकता है — लेकिन यह कोर्ट के विवेक पर निर्भर करता है।
आपने सही जानकारी दी है कि भारतीय कानून के तहत कोई व्यक्ति स्वयं अपना केस लड़ सकता है और कुछ परिस्थितियों में अदालत की अनुमति से किसी गैर-वकील व्यक्ति को प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जा सकती है।
आप किस विशेष न्यायालय के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं? इससे मैं आपको अधिक सटीक जानकारी प्रदान कर सकता हूँ।
CrPC की धारा * क्या कहती है?
Case Rating: *
CrPC की धारा * के अनुसार, अदालत की अनुमति से कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की ओर से अभियोजन कर सकता है। इसका मतलब है कि अदालत का विवेकाधिकार होता है कि वह किसी गैर-वकील व्यक्ति को किसी केस में पैरवी करने की अनुमति दे सकती है।
Code of Civil Procedure, * की धारा * क्या कहती है?
Case Rating: *
Code of Civil Procedure, * की धारा * के अनुसार, न्यायालय को अधिकार है कि वह किसी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए बाध्य करे और उसके अनुपालन के लिए दंड लगाए। इसका उद्देश्य न्यायालय की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है।
किसी व्यक्ति का केस कोर्ट में चल रहा है, वह चाहता है कि उसका कोई परिचित उसके केस में जिरह और अंतिम बहस करे। क्योंकि उसे केस लड़ने का पूरा ज्ञान है। वह व्यक्ति अपने केस में किसी वकील से जिरह और अंतिम बहस नहीं करवाना चाहता। क्या ऐसा कोई कानून है?
Case Rating: *
भारतीय कानून के अनुसार, कोई व्यक्ति स्वयं अपना केस लड़ सकता है। हालांकि, किसी गैर-वकील को अदालत में किसी व्यक्ति की ओर से जिरह और बहस करने की अनुमति तभी मिल सकती है जब अदालत विशेष अनुमति दे। यह अनुमति न्यायालय के विवेक पर निर्भर करती है और "Power of Attorney" या "Section * of the Advocates Act, *" के तहत की जा सकती है।
क्या आपको किसी विशेष न्यायालय के बारे में अधिक जानकारी चाहिए?